अपने घर ,उद्योग और व्यवसाय के वास्तु दोष को आप कैसे पहचाने ? ज्योतिषाचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा
आज के युग में अपने लिए घर,व्यवसाय या उधोग बनाना एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि है जो की उसके परिवार के लिए बड़े अनुष्ठान की तरह होती है I गृह, व्यवसाय या उधोग प्रवेश सही मुहूर्त में सभी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करने के पश्चात् भी किया जाता है परन्तु सभी प्रकार की पूजा अनुष्ठान आदि करने के पश्चात भी अनेकों बार यह देखने को मिलता है कि एक ही मकान छोड़कर जाने से तथा दूसरे मकान में रहने से परिवार की सुख शांति समाप्त हो जाती है I
कॉस्मिक एस्ट्रो ओपीसी प्राइवेट लिमिटेड़ के डायरेक्टर व श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली (कुरुक्षेत्र) के पीठाधीश डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि भवन निर्माण एवं वास्तु विज्ञान दो अलग-अलग विषय है I एक व्यक्ति अपने मनोनुकूल गृह का निर्माण तो करवा सकता है, अपने आर्किटेक्ट या डिजाइनर से कहकर उसे अच्छी प्रकार से सजा भी सकता है परन्तु वह उसमें रहने पर सुखी जीवन व्यतीत करेगा यह आवश्यक नहीं I एक आर्किटेक्ट भी जिसे केवल भवन निर्माण तकनीक का ज्ञान है उस व्यक्ति के सुखी व मंगलमय जीवन की गारंटी कैसे ले सकता है परन्तु वास्तु विज्ञान एवं वास्तु के अनुरूप मकान का निर्माण करने से वास्तु विशेषज्ञ द्वारा गारंटी ली जा सकती है I मनुष्य यह सोचने पर विशेष मजबूर हो जाता है कि पहले मकान में ऐसा क्या था I मैं उसमें सुखी व सन्तुष्ट था तथा धन संग्रह कर अपना स्वयं का घर बनाया तो-मैं संकटों से घिर गया I यहां उस मकान, उधोग या व्यवसाय स्थल की वास्तु का बहुत अधिक प्रभाव उस के पारिवारिक जीवन पर होता है परन्तु अब प्रश्न यह उठता है कि आप कैसे जाने कि जिस भवन में हम रह रहें हैं उसकी वास्तु हमारे अनुरूप है I यदि अनुरूप है तो वह हमारे तथा हमारे परिवार के लिये लाभकारी होगा क्या ? यह लाभकारी घटक निम्नलिखित में से किसी भी रूप में हो सकता है :
1 भवन,उधोग और व्यवसाय स्थल में रहने से धर्मलाभ होना चाहिए तथा उस स्थान में रहने वाले प्राणी को अध्यात्मिक एवं आत्मिक सुख की अनुभूति होनी चाहिए I
2 आपको दैविक एवं भौतिक उपसर्गों से मुक्ति मिलनी चाहिए I
3 परिवार और आपका समाज में मान-सम्मान बढ़ना चाहिए I
4 परिवार के दूसरे सदस्य भी सुख-शांति का अनुभव करें तो समझना चाहिए की उस भवन,उधोग और व्यवसाय स्थल की वास्तु गृहस्वामी के अनुरूप है I
5 यदि गृह, उधोग या व्यवसाय स्वामी के व्यवसाय में उन्नति हो तथा उसके धन-धान्य में वृद्धि हो I
6 यदि गृह, उधोग या व्यवसाय स्वामी कर्जदार है और उसका कर्ज धीरे-धीरे कम होना आरंभ हो गया है तो इसे भी शुभ संकेत माना जाता है I
7 गृह,उधोग या व्यवसाय स्वामी की आय के साधनों में वृद्धि होना प्रारम्भ हो जाये I
8 यदि परिवार के सदस्य गृहस्वामी की आज्ञा में रहने लगें तो यह भी यही दर्शाता है कि घर ,उधोग या व्यवसाय स्थल की वास्तु गृहस्वामी के अनुकूल है I
9 परिवार के सदस्य यदि अध्यात्मिक एवं आत्मिक उन्नति करने लगें और मोक्षमार्ग का रास्ता प्रशस्त हो तो इसमें भी वास्तु शास्त्र की सार्थकता है I
अब देखते हैं कि घर ,उधोग या व्यवसाय स्थल की वास्तु अनुरूप न होने के कारण कुटुम्बजनों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है :
1 परिवार में और कर्मचारियों में झगड़ा व कलह अचानक आरंभ हो जाता है I
2 आपका व्यय व्यर्थ ही बढ़ जाता है I
3 परिवार के सभी सदस्यों की आमदनी में कमी हो जाती है I
4 गृह स्वामी आर्थिक रूप से निर्बल हो जाए तो समझें उस घर ,उधोग या व्यवसाय स्थल की वास्तु अनुकूल नहीं है I
5 अचानक कोर्ट केस हो जाए और व्यक्ति को मानसिक तनाव रहे तो समझें कि घर,उधोग या व्यवसाय स्थल में वास्तु दोष है I
6 उद्योगस्वामी ,व्यवसाय स्वामी , गृहस्वामी का सम्मान समाज में कम होने लगें I
7 अचानक सन्तति का नाश हो या फिर उसके बच्चे व कुटुम्बजन ,कर्मचारी उसकी आज्ञा का पालन न करें तो समझें की घर में वास्तुदोष है I
8 आपके परिवार में अकाल मृत्यु होना भी वास्तुदोष की सूचक है I
9 अक्समात परिवार के सदस्यों को या कर्मचारियों को कोई रोग घेर ले तो समझें कि भवन,उधोग या व्यवसाय की वास्तु अनुकूल नहीं है I यदि आपको अनुभव हो कि घर में कुछ भी उपरोक्त में से घट रहा है तो समझ लेना चाहिए कि भवन में,व्यवसाय में और उधोग में धरती की नकारात्मक ऊर्जा अर्थात ज़िओपेथिक रेडिएशन दोष ,पिशाच दोष ,बन्धन दोष ,नज़र दोष और वास्तुदोष आदि है और उसके निवारण हेतु यथा संभव वास्तुदोष निवारण के उपाय जिओपैथिक विशेषज्ञ और वास्तु विशेषज्ञ के निर्देशन में भगवान में आस्था रख कर श्रद्धा पूर्वक ही करने चाहिए तभी लाभ होता है अन्यथा नुकसान होता है I आप कभी भी धन से भगवान को नहीं ख़रीद सकते है क्योंकि वो परमेश्वर आपके श्रद्धा भाव को देखते है I